Editor
Rtn. Shubhangi Mulay
July-2024
District Governor
Rtn. Shital Shah

Creative Corner Back

जीवन

 

बादल गरजे ,बिजली चमकी ,

आसमान छा गया धरती पे,

बूँदे टपक पड़ी तेज़ी से

फिर भी अनबूझी रही सर्वस्वी प्यास …

 

निकली दुआँए किसिके दिलसे

उठी तरंगें मन में ,

पर भूखे मज़दूर भयग्रस्त हो गये

रोटी की चिंता से निहाल होकर …

 

गीत निकल पड़े कवियों की कलमसे,

प्रेमी मन तड़प उठे मिलन की कसक से ,

झोपड़ीयों में नन्हे बच्चे ठिठुरने लगे सर्दिसे…

 

महलों में लोग ललचा उठे ,

रेशमी कंबल की ऊब को ,

और निर्धनों की छत प्रतिबिंबित कर रही थी ,

टूटे बिखरे जीवन की परछाइयों को …

 

पानी बढ़ता गया ,गंदगी साफ़ होती रही ,

कई आकार सम्मिलित हुए एक ही धारा में ,

पर मिटा ना सकी यह वर्षा ,

वर्षों से बढ़ती रही दिलों की उस दरार को …

 

एक मोटर चल पड़ी ,

कीचड़ उछालकर

मैले जीवन को ना जाने कैसे

और मैला बनाकर ….

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जूते

 

चौंक जाते हैं हम ,

बच्चों के कुछ ऐसे सवालोंसे ,

जानबूझकर  नासमझ बनकर

जवाब देनेसे कतराते हैं …

दोपहर की कड़कती धूप में

आधे अधूरे फटे वस्त्रों में

बच्चे रास्ते पे खेल रहे थे ,

ना भूत और भविष्य से परेशान

अपनी ही धुन में जिए जा रहे थे....

चार वर्षीय पोता मेरा बोला -

दादू -बच्चों ने जूते क्यों नहीं पहने हैं ?

झूठ बोलना तो हम अच्छा सीख गये हैं -

बिना शर्म और झिझक के ,

मैंने जवाब दिया -

बेटा -शायद उन्होंने खेलकूद के लिए ,किसी कोने में निकाल रखे हैं -

जवाब तो हमने दे दिया ,

लेकिन बहुत बैचैनी रही -

और फिर अपने आप से ठान ली ,

की जितना भी मुमकिन हो ,

बच्चों को जूते ज़रूर दिलायेंगे ,

जूते ज़रूर पहनायेंगे ….

 

मोहन पालेशा

( पास्ट डिस्ट्रिक्ट गव्हर्नर 3131)