"Soulful Verses: A Poetic Symphony by Rtn. Madhubala Nikam"
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चलो एक दीप उस घर भी जला आएँ,
जिस घर में घनघोर अंधेरा है।
चलो एक दीप उस दिल भी जला आएँ,
जो बेबस, निराश, बेसहारा है।
चलो एक दीप उस घर भी जला आएँ....
जिसका उजियारा से हो बेर,
उसके साथ भी मनाएँ दिवाली,
करावाएँ रोशनी से दोस्ती,
उसकी जिंदगी हो जाए हरियाली।
चलो एक दीप उस घर भी जला आएँ....
सुने तट पर भी रंगोली सजा आएँ
जो सुनसान टूटा पड़ा हैं
उस दिल को मिठास से भर आएँ
जो अनायास ही रूठा अड़ा हैं।
चलो एक दीप उस घर भी जला आएँ....
उन दीपक को फिर जला कर आएँ
जो आंधी में बुझ चुके हैं
उन सख्स को सही राह दिखायें
जो भटककर राह में रुके हैं।
चलो एक दीप उस घर भी जला आएँ....
जो भेदभाव की आग लगाते हैं
उनके मन में प्यार जागते हैं
जो नफरत की दीवार बनाते हैं
उसे मिठास से गिरते हैं।
चलो एक दीप उस घर भी जला आएँ....
चलो हमसब मिलजुलकर
एक अनोखा जहाँ बनाते हैं।
चलो एक दीप उस घर भी जला आएँ....
-Madhu